सोमवार, 6 अप्रैल 2020

प्रेम भारद्वाज के जाने की

प्रेम भारद्वाज के जाने की
खबर सुनते ही
होली के सारे रंग फुर्र हो गए
ढीले हो गये
सारे तान के तार
लगासबसे गबरू रंग जीवन का ही होता है
लगा जाना है जब एसे ही
अच्छे खासे काम करते आदमी को
तो इस दुनिया का
दुनिया होने का कोई मतलब नहीं
जो रच रहा हो
बना रहा हो दुनिया को
जब अभी भी फंसा हो
उसकी उंगलियों में पनीला धागा
रखी हो चाक में सजी मिट्टी
तो इस दुनिया से जाने का क्या मतलब है ।


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